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Lakes - भारत के 10 राज्यों में मौजूद इन ख़ूबसूरत झीलों का राजसी दृश्य आपको एक बार जरूर देखना चाहिए

भारत में कई सारी झीलें है लेकिन हम आपको 10 सबसे सुंदर झीलों के बारे में बताने जा रहे हैं जो देश के अलग अलग राज्यों में स्थित है।

Pawan Kaushal

भारत में वैसे तो घूमने फिरने की कई खूबसूरत जगहें है जहाँ लोग आमतौर पर घूमने जाते ही हैं। जैसे की पहाड़ी इलाकों में ट्रेकिंग करने, रेगिस्तान की खूबसूरत सुनहरी रेत देखने, बर्फ़बारी, ऐतिहासिक इमारतें आदि।

झील देखने जाना हो तो अमूमन लोग ''नैनीताल'' का ही नाम सबसे पहले लेते है। मगर अपने देश में कई ऐसी और झीलें देश के अलग अलग राज्यों मौजूद हैं जो इतनी दिलकश और शीशे की तरह साफ है कि ये आपका मन पूरी तरह मोह लेंगी।

लेकिन क्या आपने इन अत्यंत खूबसूरत झीलों को देखा है ?

हम आपको इस लेख के माध्यम से भारत की 10 सबसे सुंदर झीलों के बारे में बताने जा रहें हैं जिन्हे आपको देखने एक बार जरूर जाना चाहिए और एक यादगार तस्वीर भी लेनी चाहिए।

नैनी झील, नैनीताल उत्तराखंड

नैनी झील, नैनीताल उत्तराखंड

उत्तराखंड के नैनीताल जिले में सुंदर नैनी झील स्थित है, और यह झील सात पहाड़ियों से घिरी हुई हैं। उत्तर पश्चिम में नैनी पीक, दक्षिण पश्चिम में टिफिन प्वाइंट और उत्तर में बर्फ से ढकी चोटियों से घिरी है। इस झील की प्राकृतिक सुंदरता आपका मन मोह लेगी। यह झील इतनी प्रसिद्ध है कि हर कोई यहाँ आना नहीं भूलता और कपल्स के लिए ये एक बेहतरीन जगह है।

डल झील, श्रीनगर, कश्मीर

डल झील, श्रीनगर, कश्मीर

जम्मू और कश्मीर के श्रीनगर शहर में स्थित डल झील (Dal Lake) भारत की सबसे ख़ूबसूरत झीलों में से एक है और यह पाँच मील लम्बी और ढाई मील चौड़ी है। पर्यटकों के लिए यह झील सबसे महत्वपूर्ण है और इसे "कश्मीर के मुकुट में गहना" (Jewel in the crown of Kashmir) या "श्रीनगर का गहना" (Srinagar’s Jewel) नाम दिया गया है। सैलानियों के लिए विभिन्न प्रकार के मनोरंजन के साधन यहाँ पर उपलब्ध हैं जैसे कि कायाकिंग (एक प्रकार का नौका विहार), केनोइंग (डोंगी), पानी पर सर्फिंग करना तथा ऐंगलिंग (मछली पकड़ना)।

डल झील के मुख्य आकर्षण यहाँ के हाउसबोट और आप इन हाउसबोटों में रहकर इस ख़ूबसूरत झील का आनंद उठा सकते हैं। सर्दियों के मौसम के दौरान, तापमान कभी-कभी -11 °C (12 °F) तक पहुँच जाता है जिससे यह झील जम जाती है।

पांगोंग झील, लेह लद्दाख़

पांगोंग झील, लेह लद्दाख़

पैंगोंग झील, लेह लद्दाख की सबसे प्रसिद्ध झीलों में से एक है, जिसका नाम तिब्बती शब्द "पैंगोंग त्सो" ( “Pangong Tso”) से लिया गया है, जिसका अर्थ है "ऊँची घास के मैदान की झील" (“high grassland lake”)। पैंगोंग त्सो लद्दाख हिमालय में 14,000 फुट से अधिक की ऊँचाई पर स्थित एक लंबी संकरी, गहरी, एंडोर्फिक (लैंडलॉक) झील है। खारे पानी की यह झील सर्दियों के मौसम में जम जाती है और यह आइस स्केटिंग (Ice Skating) और पोलो जैसे खेलों में रूचि रखने वालों के लिये एक उत्तम स्थान है।

यह वही झील है जहाँ बॉलीवुड फिल्म '3 इडियट्‌स' का सीन शूट हुआ था। इसके साथ ही यहाँ पर कई और फिल्मों की शूटिंग भी हो चुकी है जैसे की, हीरोज, जब तक है जान, सनम रे, वक़्त और टशन आदि।

पैंगोंग झील को रंग बदलने के लिए भी जाना जाता है, जो अलग-अलग समय पर नीला, हरा और लाल दिखाई देती है। यदि आप जल्द ही कभी भी लद्दाख की यात्रा पर जाने का निर्णय लेते हैं तो पैंगोंग झील की यात्रा करना न भूलें।

त्सोंगमो झील या चांगू झील, सिक्किम

त्सोंगमो झील या चांगू झील, सिक्किम

त्सोंगमो झील (Tsomgo Lake), जिसे चांगु झील (Changu Lake) के नाम से भी जाना जाता है, भारत के सिक्किम राज्य के पूर्वी सिक्किम जिले में राजधानी गंगटोक (Gangtok) से लगभग 40 किलोमीटर (25 मील) दूर एक हिमनद झील (glacial lake) है। 3,753 मीटर (12,313 फीट) की ऊंचाई पर स्थित यह झील सर्दियों के मौसम में जमी रहती है। झील की सतह मौसम के परिवर्तन के साथ अलग-अलग रंगों को दर्शाती है और स्थानीय सिक्किम के लोगों द्वारा इसे बहुत सम्मान दिया जाता है।

यह भारत की कुछ और भयानक ऊंचाई वाली झीलों में से एक है। पानी पर आसपास की पहाड़ियों के प्रतिबिंबों (reflections) से झील दोगुनी आकर्षक हो जाती है। गंगटोक से जो 5410 फीट पर है, ऊंचाई केवल 15 किमी में लगभग 10,000 फीट तक बढ़ जाती है। आप अंदाजा लगा सकते हैं कि सड़क के इस हिस्से पर ढलान कितनी तेज होगी।

सर्दियों मौसम में जनवरी से मई तक) चांगु झील पूरी तरह से बर्फ से ढकी रहती है और आप झील के किनारों पर ट्रेकिंग के साथ-साथ बर्फ पर याक की सवारी का आनंद ले सकते हैं। अक्टूबर से दिसंबर तक, झील से बर्फ की चादर से ढकी रहती है और प्रवासी पक्षियों को झील के पानी में चहलकदमी करते देखा जा सकता है।

एमराल्ड झील, नीलगिरी तमिलनाडु

एमराल्ड झील, नीलगिरी तमिलनाडु

एमराल्ड झील तमिलनाडु में नीलगिरी जिले के एमराल्ड गांव के पास स्थित है और यह हरे टी गार्डन से घिरी हुई है। यह नीले पानी के साथ एक प्राचीन और शांत झील। पास की ऊँची पहाड़ियों से इस झील का दृश्य कमाल का है और हरे-भरे घास के मैदानों और जंगलों से घिरा नीला पानी का नज़ारा मंत्रमुग्ध कर देने वाला है। यह ऊटी शहर से लगभग 25 किलोमीटर दूर है और अगर आप ऊटी में हैं तो इस जगह को मिस न करें। यह ऊटी से सिर्फ 40 मिनट की ड्राइव पर है और सड़क बहुत सुंदर है। अंतिम 2 किलोमीटर को छोड़कर आप ड्राइविंग को पसंद करेंगे। यहाँ से सूर्योदय और सूर्यास्त का शानदार नज़ारा देखने लायक होता है।

लोकटक झील, मणिपुर

लोकटक झील, मणिपुर

बिष्णुपुर जिले में लोकटक झील (Loktak Lake) इंफाल शहर ( Imphal City) से 48 किमी दूर है और यह उत्तर-पूर्व भारत की सबसे बड़ी ताजे पानी की झील है। लोकतक झील को तैरती फुमदी (phumdis) के कारण दुनिया की एकमात्र तैरती हुई झील भी कहा जाता है, जो मिट्टी, वनस्पति और आर्गेनिक पदार्थों का एक भिन्न द्रव्यमान है जो डिकम्पोज़िशन के विभिन्न चरणों में होता है।

पर्यटक सेंद्रा (Sendra) से झील का बर्ड आई व्यू (Bird's-eye view) भी देख सकते हैं। तैरते हुए द्वीपों में रहने वाले मछुआरे जिन्हें फुमदीस कहा जाता है, तैरती हुई झोपड़ियों में रहते हैं जिन्हें फुमसांग ( Phumsangs) के नाम से जाना जाता है, इस झील के अनोखे दर्शनीय स्थल हैं।

यह दुनिया का एकमात्र तैरता हुआ राष्ट्रीय उद्यान है, लोकटक झील पर स्थित केइबुल लामजाओ राष्ट्रीय उद्यान (Keibul Lamjao National Park) मणिपुर का डांसिंग डियर 'सांगई' (Rucervus eldii eldii), जो कि मणिपुर का राज्य पशु है, का अंतिम प्राकृतिक आवास है। यह झील अपनी अलौकिक सुंदरता के कारण दूर-दूर से पर्यटकों को आकर्षित करती है।

सुमेंदु लेक या मिरिक झील, पश्चिम बंगाल

सुमेंदु लेक या मिरिक झील, पश्चिम बंगाल

मिरिक, पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग ज़िले में स्थित एक हिल स्टेशन है और यहीं सुमेंदु या मिरिक झील स्थित है। यह झील लगभग 1.25 किलोमीटर लंबी है और इसमें इंद्रनी पुल नामक एक मेहराबदार फुटब्रिज (arched footbridge) है। इस झील की गहराई 3 फुट से 27 फुट तक है और इसमें नौका विहार है और मछली पकड़ने की सुविधा भी है।

इस झील की ख़ूबसूरती चांदनी रात में और आकर्षक होती है जो अपने आप में देखने लायक होती है। चांदनी रात में इस झील का नज़ारा स्वर्ग से कम नहीं होता। झील में आप बोटिगं का आनंद उठा सकते है और सुंदर मछलियो को निहार सकते है।

मिरिक झील के किनारे बड़े बड़े पेड़ो की भरमार है और इनकी शोभा इस जगह को और भी आकर्षित बना देती है। घने जंगलों के बीच से ऊपर पहाड़ पर जाने के लिए कई छोटे छोटे रास्ते बने हुए है। झील के पास ही पुल के दूसरी तरफ लगभग 10 मिनट की दूरी पर कई सारे छोटे छोटे मंदिर है और यह स्थान 'देवी स्थान' के नाम से जाना जाता है।

पिछोला झील, उदयपुर राजस्थान

पिछोला झील, उदयपुर राजस्थान

पिछोला झील (Pichola Lake) राजस्थान के उदयपुर के बीच में स्थित है और शहर की सबसे पुरानी और सबसे बड़ी झीलों में से एक है। इस झील राजसी दृश्य एक शाही अनुभव देता है। इस झील की लंबाई 3 मील, चौड़ाई 2 मील और गहराई 30 फीट है। इस झील को 1362 में, महाराणा लाखा के शासन काल के दौरान पिच्छू बंजारा (Pichhu Banjara) द्वारा सुंदर झील का निर्माण किया गया था।

पिछोला झील अपने चारों ओर ऊंचे महलों, मंदिरों, स्नान घाटों और ऊंची पहाड़ियों से घिरी हुई है। इस झील के दक्षिणी भाग में एक पहाड़ी है जिसे मचला मगरा के नाम से जाना जाता है और यहाँ से एकलिंगगढ़ किले (Ekling Garh Fort) की झलक देखी जा सकती है। उदयपुर का सिटी पैलेस इस झील के पूर्वी किनारे के साथ विस्तृत है। जगत सिंह द्वारा निर्मित, मोहन मंदिर पिछोला झील के उत्तर-पूर्व कोने में स्थित है।

रुडयार्ड किपलिंग ने अपने लेटर्स ऑफ मार्के (Letters of Marque ) (1899) में इस झील का उल्लेख किया है, "यदि विनीशियन इस पिछोला झील के मालिक होता तो वह पूरी ईमानदारी से कह सकता है कि, इसे देखें और मरें। इस झील को देखते ही किसी को भी इससे प्यार हो जाएगा।

पराशर झील, हिमाचल प्रदेश

पराशर झील, हिमाचल प्रदेश

पराशर झील (Prashar Lake), कुल्लू की धौलाधार पर्वतमाला के बीच स्थित है। यह झील समुद्र तल से 2730 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। शहर की भागदौड़ भरी जिंदगी से दूर यह झील छुट्टियां बिताने के लिए एक बेहतरीन जगह है। पराशर झील ऊंचे देवदार के पेड़ों के बीच बसी हुई है। झील के किनारे से पर्यटक बर्फ से ढके पहाड़ों और दक्षिण की ओर बहने वाली सतलुज नदी की जलधाराओं की झलक देख सकते हैं।

इस झील के बारे में एक बहुत ही रोचक तथ्य यह है कि झील पर जमीन का एक छोटा सा टुकड़ा है जो एक टापू है। द्वीप झील के केवल 7% हिस्से को कवर करता है और पूरी तरह से रूप बदल देता है। टापू पर पौधों की जड़ों में मौजूद ऑक्सीजन उन्हें झील में तैराए रखती है। इसलिए, आप अक्सर द्वीप को झील में एक अलग स्थिति में पा सकते हैं।

हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब महाभारत समाप्त हुआ, तो पांडवों ने देव कमरुनाग के साथ अपने देवता के लिए एक उपयुक्त स्थान खोजने का रास्ता बनाया। वे इस स्थान पर उतरे जहां वर्तमान में झील स्थित है। जब देवता और देव कमरुनाग ने उस स्थान को देखा, तो वे इसकी सुंदरता से मुग्ध हो गए और उन्होंने अपने शेष जीवन के लिए वहीं रहने का फैसला किया।

चिल्का झील, ओडिशा

चिल्का झील, ओडिशा

चिल्का झील (Chilika Lake) एक खारे पानी की झील है और पूर्वी भारत में ओडिशा राज्य में पुरी (Puri), खुर्दा (Khurda) और गंजाम (Ganjam) जिलों में फैली एस्टुरीन इकोसिस्टम (Estuarine Ecosystem) वाली एक उथली लैगून (shallow lagoon) है जो एशिया का सबसे बड़ा और विश्व का दूसरा सबसे बड़ा लैगून है।

यह झील करीब 1000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैली हुई है और इसमें मछलियों की क़रीब 225 प्रजातियाँ मौजूद है। सर्दियों के मौसम में यहाँ बड़ी संख्या में विभिन्न पक्षियों का आना होता है। इस झील में कई सारे छोटे-छोटे द्वीप जो बेहद ख़ूबसूरत दीखते है। यह झील समुद्र का ही एक भाग है जो महानदी द्वारा लायी गई मिट्टी के जमा हो जाने से समुद्र से अलग हो गई।

वनस्पतियों और जीवों की सबसे शांत किस्मों के अलावा, चिल्का झील सैंक्चुअरी सूर्योदय और सूर्यास्त के खूबसूरत दृश्यों के लिए जाना जाता है। इस शानदार दृश्य के लिए बहुत से लोग विशेष रूप से इस सैंक्चुअरी की यात्रा करते हैं।

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