आम 
Lucknow-Hindi

अंदाज़-ए-'आम - लखनऊ की अवाम का पसंदीदा, नवाबों के बागों का बेशकीमती रत्न

अवध के नवाबों और आमों के बीच का शाश्वत संबंध इस क्षेत्र को आम का स्वर्ग बना देता है।

Aastha Singh

लखनऊ को सदा से ही अपनी दो ऐतिहासिक सम्पत्तियों पर गर्व रहा है - आम और ज़ुबान।

दोनों ही मिठास से सराबोर हैं और शहर को एक अलग पहचान देते हैं। अवध के मूल निवासियों में फलों के राजा आम का हमेशा से ही एक उच्च स्थान रहा है। शहर के पुराने लोगों का कहना है की आम की लज़ीज़ किस्मों को खाना नज़ाकत और नफ़ासत का काम है। शहर की आब-ओ-हवा में आम का जूनून कुछ यूँ मु'अत्तर रहता था की यहाँ सालों तक 'आम और ग़ालिब' की दावतें रखी जाती थीं जहाँ लखनऊ के तमाम शायर, शायरा इकठ्ठे बैठकर आम और शेर ओ शायरी नोश फरमाते थे। ऐसी महफिलें आम के प्रबल प्रेमी मिर्ज़ा ग़ालिब को नज़्र की जाती थीं।

शहर के एक नौजवान शायर 'शिवार्घ भट्टाचार्य' आम को देखकर कहते हैं - हर ख़ुश्क ख़स-ओ-ख़ाशाक चमन तेरे रंग से मु'अत्तर होता है, चंद लम्हों के लिए ही सही हर दर्द बेअसर होता है।

एक लख़नवी आम की दावत

200 साल पहले शुरू हुआ था लखनऊ के साथ दशहरी आम का सफर

दशहरी आम

जैसे ही गर्मियां शुरू होती हैं, लखनऊवासी, फलों के बाजारों में आम का बेसब्री से इंतजार करते हैं। और अवध क्षेत्र में पैदा होने वाले आमों की विस्तृत विविधता के कारण उनका उत्साह पूरी तरह से स्वाभाविक है। अवध के नवाबों और आमों के बीच का शाश्वत संबंध इस क्षेत्र को आम का स्वर्ग बना देता है। आम न केवल नवाबों का पसंदीदा फल था, बल्कि उनके बागों का सबसे अधिक कीमती संपत्ति हुआ करता था। और इन बागों के अवशेष अभी भी अवध के मलिहाबाद और काकोरी में फलते-फूलते हैं, जो आम के बागों से भरे हुए हैं।

ऐतिहासिक जानकारी के अनुसार, दशहरी - एक प्रसिद्ध आम की किस्म का व्यापार सबसे पहले अवध में शुरू हुआ था। कहा जाता है कि मुगल काल के अंत में यहां बसने वाले पठानों ने मलिहाबाद और काकोरी में लखनऊ की दशहरी बेल्ट विकसित की थी। मलिहाबाद को देश की मैंगो कैपिटल कहा जाता है।

आम

देश की आम की राजधानी मलीहाबाद के बारे में कुछ बहुत ही अटपटा है।

मलीहाबाद उन परिवारों का भी घर है जो 200 से अधिक वर्षों से फल उगा रहे हैं। इसके 20 वर्ग किमी के दायरे में आम की लगभग 700 किस्में उगाई जाती हैं। मलिहाबाद में हर कोई एक निश्चित व्यवसाय के साथ पैदा होता है - एक बाग के मालिक या रखवाले के रूप में। इस विचित्र गाँव में किसी से भी पूछें कि यह इतना खास क्या है और आपको बताया जाता है - "मिट्टी का मसला है।"

नवाबों के समय में मलीहाबाद आम की 1300 विषम किस्मों का भंडार हुआ करता था। वैसे तो किस्मों की गिनती भले ही कम हो गई हो, लेकिन इस आम के स्वर्ग के हर मोड़ पर आपको आम से जुड़ी कहानियों और चर्चाओं की गिनती जानकर हैरानी होगी। इसके अलावा, यह भी माना जाता है कि यहां पहली बार आम का बाग अफरीदी पठानों के एक समूह द्वारा लगाया गया था जो अफगानिस्तान के खैबर पास से आए थे और मलीहाबाद में बस गए थे।

लखनऊ के इतिहासकार योगेश प्रवीण कहते थे, "हर बार मिर्जा गालिब को अपनी पेंशन लेने के लिए दिल्ली से कोलकाता जाना पड़ता था, उन्होंने लखनऊ से जाने की जिद की ताकि वह दशहरी और अन्य आम खा सकें।" वर्तमान समय में दशहरी आम की किस्म ही नहीं बल्कि अपने आप में एक ब्रांड है!

मिर्जा गालिब ने कहा, "मुझसे पूछो, तुम्हें खबर क्या है, आम के आगे नेशकर क्या है" नेशकर यानी गन्ना।

आम

दुनिया में पहली बार दशहरी आम का पेड़ आज भी यहाँ मौजूद है, जो काकोरी के पास एक छोटे से गाँव में स्थित है। 18वीं शताब्दी में उत्पन्न, दशहरी आम अपनी अनूठी मीठी सुगंध और स्वाद के लिए प्रसिद्ध है। कोई आश्चर्य नहीं, इसे आमों का राजा कहा जाता है। इसके अलावा लखनऊ सफेदा, चौसा, लंगड़ा, बॉम्बे ग्रीन और रामकेला आम की किस्में हैं जो यहाँ प्रमुख रूप से कमर्शियल स्तर पर उगाई जाती हैं।

मलिहाबादी आम की एक और पुरानी किस्म है जौहरी सफेदा जिसके नाम के पीछे एक दिलचस्प कहानी है। महान उर्दू कवि जोश मलिहाबादी के परदादा फकीर मोहम्मद खान, ने अवध के तत्कालीन नवाब नसीरुद्दीन हैदर को आम भेजे थे। नवाब आम के स्वाद से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने बदले में खान को मोती दे दिए। इस प्रकार आम का नाम जौहरी सफेदा (अर्थात् जौहरी के मोती) रखा गया।

चलिए आम की इस नशिस्त को शाहीन इक़बाल असर साहब की एक नज़्म के चंद अशआर से तमाम करते हैं -

हो रहा है ज़िक्र पैहम आम का

आ रहा है फिर से मौसम आम का

नज़्म लिख कर उस के इस्तिक़बाल में

कर रहा हूँ ख़ैर-मक़्दम आम का

उन से हम रक्खें ज़ियादा रब्त क्यूँ

शौक़ जो रखते हैं कम आम का

तब कहीं आता है मेरे दम में दम

नाम जब लेता हूँ हमदम आम का।

To get all the latest content, download our mobile application. Available for both iOS & Android devices. 

This weekend in Ahmedabad: 7 new events you can’t miss!

Diljit Dosanjh's Ekana Concert: Lucknow police issues traffic advisory

Ahmedabad News | Temp drops to 18.6°C, Riverfront roads to be closed on Sunday & more

"Lao ji, finally ho gaya"| Diljit Dosanjh announces Mumbai show for 'Dil-Luminati' Tour

In Lucknow for Diljit's concert? Here are 7 things to do near Ekana stadium!

SCROLL FOR NEXT