लखनऊ के कैसरबाग में स्थित भातखंडे संगीत संस्थान सम विश्वविद्यालय अब भातखंडे राज्य संस्कृति विश्वविद्यालय हो जाएगा। बीते मंगलवार को मुख्यमंत्री की अध्यक्षता बैठक में हुई कैबिनेट बैठक में विश्वविद्यालय के विधेयक को मंजूरी दे दी गई है।
अब संस्कृत, संस्कृति के साथ लोक कलाओं, लोक नृत्य पर शोध और पाठ्यक्रम संचालित हो सकेंगे। अभी तक भातखंडे संगीत संस्थान अभी तक सम विश्वविद्यालय था। कैबिनेट ने संस्थान को अब पूर्ण विश्वविद्यालय का दर्जा दिया है और इसका कार्यक्षेत्र संपूर्ण उत्तर प्रदेश रहेगा। अभी तक भारतेंदु नाट्य अकादमी ड्रामा में डिप्लोमा दे पाती है, लेकिन अब अकादमी की संस्कृति विश्वविद्यालय से संबद्धता होने पर ड्रामा में डिग्री भी मिल सकेगी।
संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि भातखंडे संगीत संस्थान सम विश्वविद्यालय को भातखंडे राज्य संस्कृति विश्वविद्यालय के रूप में स्थापित करने के लिए 6 जनवरी 2021 को कैबिनेट ने भातखंडे राज्य संस्कृति विश्वविद्यालय अध्यादेश-2021 मंजूर किया गया था। कैबिनेट ने अब भातखंडे राज्य संस्कृति विश्वविद्यालय अध्यादेश-2021 के प्रतिस्थानी विधेयक के प्रारूप को मंजूरी दी है। इसके साथ ही विधेयक को विधानमंडल के दोनों सदनों प्रस्तुत करने का प्रस्ताव भी स्वीकृत किया है।
भातखंडे संगीत संस्थान को राज्य संस्कृति विश्वविद्यालय का दर्जा मिलने के बाद यहां के छात्र और शिक्षकों के साथ साथ कला जगत के लोगों ने खुशी के लहर दौड़ गई है। आपको बता दें कि भातखंडे की स्थापना पंडित विष्णु नारायण भातखंडे ने राय उमानाथ बली, राय राजेश्वर बली, लखनऊ के संगीत संरक्षकों एंव संगीत प्रेमियों के सहयोग से 1926 में की थी। यहां से लखनऊ में संगीत की संस्थाबद्ध शिक्षा की नींव पड़ी।
इसके बाद 1966 में उत्तर प्रदेश सरकार ने इस संस्था को अपने नियंत्रण में लिया। और राज्य सरकार के अनुरोध पर भारत सरकार ने भातखंडे संगीत संस्थान को 24 अक्टूबर 2000 को सम विश्वविद्यालय घोषित कर दिया था।
To get all the latest content, download our mobile application. Available for both iOS & Android devices.