लखनऊ के फैजुल्लागंज इलाके में 116 सूअरों (Pig) की मौत अफ्रीकी स्वाइन फीवर (African Swine Fever - ASF) वायरस के संक्रमण से होने की पुष्टि के बाद राजधानी में अलर्ट जारी कर दिया गया है। जिला प्रशासन ने सूअर के मांस और इससे बनने वाले किसी भी तरह के खाद्य उत्पादों पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगा दिया है। लखनऊ समेत आसपास के ग्रामीण इलाकों में भी सूअर के मांस और उत्पादों की बिक्री पूरी तरह प्रतिबंधित होगी। प्रशासन ने निर्देश जारी करते हुए कहा है कि अगर कहीं पर भी सूअर के मांस या इससे बने उत्पाद की बिक्री होती पाई गई तो संबंधित के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाएगा। इसके साथ ही सूअरों को बाड़े से बाहर निकालने पर भी रोक रहेगी।
डीएम सूर्यपाल गंगवार का कहना है कि सूअरों की मौत के बाद पशुपालन विभाग ने जांच के लिए रक्त, सीरम और विसरा के नमूने लेकर राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान, भोपाल की लैब को भेजे थे। रिपोर्ट में ASF वायरस की पुष्टि हुई है। स्वास्थ्य अफसरों का कहना है कि यह वायरस केवल सूअरों की प्रजाति को ही प्रभावित करता है। इससे पशुओं की अन्य प्रजातियां और इंसानों में संक्रमण नहीं होता है।
जिला प्रशासन ने अफ्रीकन स्वाइन फीवर वायरस से अलर्ट जारी करते हुए और इसके रोकथाम के लिए निम्नलिखित निर्देश जारी किये हैं।
शहर में किसी भी सूअर बाजार का आयोजन प्रतिबंधित रहेगा।
सूअर के मांस की बिक्री पर भी पूरी तरह प्रतिबंध रहेगा।
सूअर से निर्मित उत्पादों की बिक्री भी पूरी तरह से प्रतिबंध रहेगा।
संक्रमण प्रभावित इलाकों में नगर निगम और अन्य स्थानीय निकाय सघन सफाई अभियान चलाएंगे।
सूअरों के उपचार और बीमारी के लिए जागरूकता कार्यक्रम पशुपालन विभाग करेगा। नगरीय और ग्रामीण दोनों इलाकों में यह कवायद होगी। और नगर निगम भी इसमें सहयोग करेगा।
नगर निगम की यह जिम्मेदारी होगी कि सूअर खुले में विचरण न करें। बाड़े से बाहर सूअर मिलने पर पालकों के खिलाफ कार्रवाई की जाए. संक्रमित होने पर पशुपालन विभाग की मदद से इलाज कराएं।
डीएम सूर्यपाल गंगवार ने अपने निर्देश में कहा कि अगर किसी व्यक्ति में बुखार, खांसी और सांस फूलना आदि जैसे लक्षण दिखाई देते है तो तत्काल स्वास्थ विभाग की हेल्पलाइन नंबर 0522-2622080 पर संपर्क करें। इसके साथ ही अगर खुले में सूअर दिखें तो नगर निगम के कंट्रोल रूम नंबर 9151055671, 9151055672, 9151055673 पर तत्काल सूचना दें। अगर किसी सूअर की अस्वाभाविक मौत होती है तो इसकी सूचना पशुपालन विभाग के जनपदीय नोडल अधिकारी डॉ. अतुल कुमार अवस्थी, उप मुख्य पशु चिकित्साधिकारी को उनके मोबाइल नंबर 9412188325 पर कॉल कर सूचित करें।
अफ्रीकी स्वाइन फीवर घरेलू और जंगली पशुओं में होने वाला एक बेहद ही संक्रामक रक्तस्रावी वायरल रोग है। यह एसफेरविरिडे (Asfarviridae) परिवार के एक बड़े DNA वाले वायरस की वजह से होता है। इसे पहली बार 1920 के दशक में अफ्रीका में देखा गया था। इस रोग में मृत्यु दर 100 प्रतिशत के करीब होती है और चूँकि इस बुखार का कोई इलाज नहीं है, अतः इसके संक्रमण को फैलने से रोकने का एकमात्र तरीका जानवरों को मारना है। अफ्रीकी स्वाइन फीवर मनुष्य के लिये खतरा नहीं होता है, क्योंकि यह केवल जानवरों से जानवरों में फैलता है। अफ्रीकी स्वाइन फीवर, विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन (OIE) के पशु स्वास्थ्य कोड में सूचीबद्ध एक ऐसी बीमारी है जिसके संदर्भ में तुरंत OIE को सूचना देना आवश्यक है।
सूअर को तेज बुखार, लड़खड़ा कर चलना, सफेद सूअर के शरीर पर नीले चकते होना, सुस्ती, खाना-पीना छोड़ देना - यह सभी अफ्रीकी स्वाइन फीवर के लक्षणों में शामिल है।
इसके साथ ही यह बीमारी अप्रत्यक्ष संपर्क जैसे खाद्य पदार्थ, अवशिष्ट या कचरे आदि से भी फैलता है। इसके अलावा, ये वायरस सुअर के मांस, सलाइवा, खून और टिशू से भी फैलता है। मौजूदा वक्त में इस रोग का कोई भी सिद्ध टीका या इलाज उपलब्ध नहीं है।
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