भगवान राम की नगरी अयोध्या को दीपोत्सव के लिए पूरे हर्षोल्लास से सजाया जा रहा है। इस बार 23 अक्टूबर को राम की पैड़ी, सरयू घाट और अयोध्या के मठ मंदिर समेत पूरी रामनगरी 17 लाख दीपों से जगमगाएगी। वहीं, पिछले साल 2021 मे यहां 9 लाख मिट्टी के दीप जलाए गए थे, और साल 2020 में यहां 5.84 लाख दीप जलाए गए थ। और इस बार के छठवें दीपोत्सव को भव्य बनाने के लिए प्रदेश सरकार कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती हैं।
इस बार के दीपोत्सव में नया विश्व रिकॉर्ड बनाने के लिए राम की पैड़ी में 15 लाख दीप जलाए जाएंगे साथ ही अयोध्या के सभी मठ मंदिरों और पूरे शहर में कुल 17 लाख दीप जलाए जाएंगे।
दीपोत्सव के अवसर पर इस बार लाइट एंड साउंड के 12 शो होंगे। इसके साथ ही राम की पैड़ी के किनारे के मंदिरों की दीवार पर होने वाले लेजर शो का दायरा बढ़ाकर 337 फिट कर दिया गया है और लोगों को दूर से दिख सके इसके लिए लेजर शो के लिए स्क्रीन लगाई गई है। दीप बिछाने का काम शुरू हो चूका है और इसमें तेल डालने का काम 22 अक्टूबर से शुरू होगा। 23 अक्टूबर की शाम को इन सभी दीपकों को जलाया जाएगा।
छठवें दीपोत्सव के अवसर पर संस्कृति विभग की तरफ से इस बार 8 देशों तथा 10 प्रदेशों की रामलीला/रामायण बैले तथा विभिन्न प्रदेशों के लोकनृत्य का आयोजन होगा। 22 से 23 अक्टूबर को इंडोनेशिया, श्रीलंका, मलेशिया, थाईलैंड, रूस, फिजी और नेपाल के लगभग 120 इंटरनेशनल कलाकार अपनी प्रस्तुति देंगे। साथ ही उत्तर प्रदेश, दिल्ली, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, गुजरात, ओड़िसा, तमिलनाडु और झारखण्ड के लगभग 1800 कलाकार रामलीला करेंगे।
दीपोत्सव में गाय के गोबर से बने दीप जलाए जाएंगे। गोबर से बने 1 लाख 25 हजार गोदीप अयोध्या पहुंच चुके हैं। यह सभी दीप राम जन्मभूमि, हनुमान गढ़ी समेत 21 मंदिरों में जलाए जाएंगे। और राम जन्मभूमि परिसर में बन रहे भव्य राम मंदिर के गर्भगृह में 51 हजार दीप जलाए जाएंगे। इसके साथ ही भगवान श्री रामलला के अस्थाई गर्भगृह में भी गाय के गोबर से बनी 1100 दीप गाय के ही घी से प्रज्वलित किए जाएंगे। जिसके लिए अस्थाई भवन को भी चित्रों से सजाया जा रहा है।
''राम राम जय राजा राम'' , के भजन से जब पूरी अयोध्या नगरी गूंजेगी तो यह अपने आप में त्रेतायुग जैसी अनुभूति देगी। त्रेतायुग में भगवान विष्णु ने राम के रूप में अवतार लिया था। और ऐसी मान्यता है कि जब प्रभु श्री राम त्रेतायुग में 14 साल का वनवास काटकर रावण पर विजय प्रात कर अयोध्या आए थे। और उस युग में अयोध्या वासियों ने आयोध्या को भव्य तरीके से सजाया था।
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