उत्तर प्रदेश सरकार के कर्मचारियों के लिए शासन ने प्रमोशन से जुड़ा नया शासनादेश जारी कर दिया है। मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा द्वारा जारी किए गए शासनादेश में साफ कहा गया है कि अगर कोई राज्य कर्मचारी अगर प्रमोशन लेने से मना करता है, या फिर पसंदीदा पदों या जगहों पर बने रहने की चाहत में प्रमोशन लेने से इंकार करता है तो उसे दोबारा प्रमोशन नहीं दिया जाएगा।
साथ ही प्रमोशन लेने से इंकार करने वाले कर्मचारी से शपथ पत्र लिया जाएगा कि वह भविष्य में फिर कभी प्रमोशन की मांग नहीं करेगा। एक बार प्रमोशन से इंकार कर दिया तो उस कर्मचारी को भविष्य में होने वाले प्रमोशन के लिए भी पात्रता सूची में शामिल नहीं किया जाएगा।
साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि जो कर्मचारी प्रमोशन से इंकार करता है, उसके बारे में नियुक्ति प्राधिकारी यह निर्णय करेंगे कि भविष्य में उसे किसी भी संवेदनशील और महत्वपूर्ण पदों पर तैनात किया जाए या नहीं।
प्रदेश सरकार में पहले ऐसी कोई व्यवस्था नहीं थी कि अगर कोई राज्य कर्मचारी प्रमोशन लेने से मना करता है तो उस स्थिति में स्पष्ट रूप से क्या किया जाए। लेकिन अब शासनादेश के तहत यह साफ हो गया है कि प्रमोशन लेने से मना करने वाले कर्मचारियों को भविष्य में किसी भी तरह प्रमोशन में कोई वरीयता नहीं मिलेगी।
आपको बता दें कि सरकार के मुताबिक कई बार ऐसा होता है कि सरकारी कर्मचारियों को जब प्रमोशन दिया जाता है, तो कुछ कर्मचारी प्रमोशन लेने से मना कर देते हैं, और प्रमोटेड पद पर कार्यभार ग्रहण नहीं करते हैं और दोबारा प्रमोशन की मांग करते हैं। इससे सरकारी तंत्र में अव्यस्था होती है और नियुक्ति प्राधिकारियों को निर्णय लेने में असहजता का सामना करना पड़ता है। इसलिए सरकार ने ऐसे मामलों में अब एक व्यवस्था तय कर दी है और उसके अनुसार ही कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।
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