उत्तर प्रदेश में साहूकारों द्वारा लोगों को ब्याज पर उधार रुपये देने के इस धंधे पर अब प्रदेश सरकार लगाम लगाने की तैयारी में है। प्रदेश में यूपी सरकार ने साहूकारों द्वारा लोगों को उधार पर रुपये देने के कारोबार को नियंत्रित करने के उद्देश्य से लागू किया गया था। लेकिन अब सरकार साहूकारी अधिनियम 1976 (Uttar Pradesh Moneylender Act 1976) को खत्म करने जा रही है।
यह निर्णय मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा की अध्यक्षता में हुई बैठक में निर्णय लिया गया है। बैठक में इस बात पर सहमति बनी कि फाइनेंशयल इन्क्लूजन के तहत गाँव-गाँव तक बैंको की पहुंच और लोगों को सस्ती ब्याज दरों पर लोन की सहूलियत के कारण यह अधिनियम अब अनुपयोगी और अप्रासंगिक हो गया है। इसके साथ ही अब इस साहूकारी अधिनियम को खत्म करना ही बेहतर होगा। अगर साहूकारी अधिनियम खत्म हो जाता है, तो इसके बाद उत्तर प्रदेश में ना तो कोई साहूकारी के नए लाइसेंस जारी होंगे ना ही पुराने लाइसेंस का नवीकरण होगा।
ऐसा देखा गया है कि साहूकारों से ऊँची ब्याज दर पर उधार रुपये अधिकतकर ऐसे लोग ही लेते है जिन्हे बैंक से लोन नहीं मिलता या फिर अधिक आवश्यकता होती है। और कई बार ज़्यादातर मामलों में लोग साहूकारों का अधिक ब्याज होने के कारण पैसा वापस नहीं कर पाते हैं और कर्ज में फसते चले जाते हैं। और यहीं से साहूकार लोगों का शोषण करना शुरू कर देते हैं। साहूकारों के शोषण की ऐसी कई शिकायतें पुलिस और प्रशासन को मिलती हैं। इसपर लगाम लगाने के लिए सरकार ने साहूकारी अधिनियम को खत्म करने का फैसला लिया है और जल्द ही इसपर आदेश जारी कर दिया जाएगा।
आपको बता दें कि साहूकारी का लाइसेंस ज़्यादातर स्वर्णकार लेते हैं जो कुल सोने (Gold) आभूषण के लगभग 50% मूल्य तक का लोन 18 से 36% तक की ऊँची ब्याज दर पर देते हैं।
वर्तमान में भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India-RBI) ने विभिन्न बैंको और वित्तीय संस्थानों को सोने के मूल्य के 90% तक लोन प्रदान किये जाने की अनुमति दी गई हैं। साहूकारी का लाइसेंस खत्म करने के लिए राजस्व विभाग ने यह भी तर्क दिया कि वाराणसी में वित्तीय वर्ष 2020-21 में साहूकारी का कोई लाइसेंस जारी नहीं किया। साथ ही गोंडा में अनियमितता पाए जाने पर जिले के 33 लाइसेंस कैंसिल कर दिए गए और लोगों ने भी लाइसेंस के लिए कोई रूचि नहीं दिखाई।
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