रतन टाटा ने 'गुडफ़ेलोज़' में किया निवेश, बोले बुढ़ापे में यह दुनिया बहुत मुश्किल हो जाती है
उद्योग जगत के महान दिग्गज रतन टाटा (Ratan Tata) ने 'गुडफ़ेलोज़' (Goodfellows) नाम के एक अनूठे स्टार्टअप में निवेश की घोषणा की, जो वरिष्ठ नागरिकों को युवा ग्रेजुएट्स के साथ जोड़ कर इंटर जेनरेशनल दोस्ती को प्रोत्साहित करने के प्रयास में सहयोग प्रदान करता है।
भारत में बुजुर्गों की अधूरी जरूरतों को पूरा करने के लिए आधुनिक तरीकों के बारे में सोचने वाले स्टार्ट-अप डेवलपर्स ने दवाओं, बीमारियों और मोबाइल फ़ोन पर खरीदारी से ज्यादा प्रगति नहीं की है। ऐसे में शांतनु नायडू (Shantanu Naidu) जो की रतन टाटा के ऑफिस के जनरल मैनेजर हैं, उनके द्वारा शुरू किया गया 'गुडफ़ेलोज़' (Goodfellows) एक बिलकुल नया स्टार्टअप है जो बुजुर्गों की देखभाल में अधिक सार्थक प्रभाव डालने की उम्मीद कर रहा है। टाटा संस (Tata Sons) के महान दिग्गज से सीड फंडिंग के साथ, यह सब्सक्रिप्शन बेस्ड कंपनी 16 अगस्त को लॉन्च हुई।
बुजुर्गों और निरजनों के लिए आशा की किरण
'गुडफ़ेलोज़' (Goodfellows) एक स्टार्टअप है जो युवा, शिक्षित ग्रेजुएट्स के माध्यम से उन वरिष्ठ नागरिकों को सहयोग प्रदान करता है जिन्हें सहानुभूति और साथ की आवश्यकता है। इसमें युवाओं की भावनात्मक बुद्धि और बुज़ुर्गों के प्रति उनके आदर और संवेदना की गहन जांच की जाती है।
ऐसे समझिये की एक गुडफेलो वही करता है जो एक पोता या पोती करते हैं।
गुडफ़ेलो एक प्रीमियम सब्सक्रिप्शन मॉडल पर काम करता है जिसमें पहला महीना मुफ्त होता है और दूसरे महीने के बाद एक छोटा सब्सक्रिप्शन शुल्क पेंशन लेने वाले बुज़ुर्गों की सीमित आर्थिक सामर्थ्य पर लिया जाता है। वरिष्ठ नागरिक thegoodfellows.in पर साइन अप करके सेवाओं का लाभ उठा सकते हैं या 8779524307 पर मिस्ड कॉल दे सकते हैं।
पिछले 6 महीनों में, 'गुडफ़ेलोज़' (Goodfellows) ने बीटा टेस्टिंग पूरी कर ली है और अब यह सुविधा मुंबई, पुणे, चेन्नई और बैंगलोर में उपलब्ध होगी। बीटा परीक्षण चरण के दौरान, गुडफेलो में नौकरी की तलाश कर रहे युवा स्नातकों के 800 से अधिक आवेदनों के साथ गुडफेलो को सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली, जिनमें से 20 के एक शॉर्टलिस्टेड समूह ने मुंबई में बुजुर्गों को सहयोग प्रदान किया। गुडफेलो बुज़ुर्गों के लिए मासिक कार्यक्रम भी आयोजित करता है जिसमें वे अपने गुडफेलो के साथ भाग लेते हैं, इस उम्मीद के साथ कि बंधन एक हलके वातावरण में गहरा और आसान हो जाता है। यह दादा-दादी को एक-दूसरे के साथ-साथ अधिक युवाओं से मिलने और भावनात्मक और इंसानियत के रिश्ते का निर्माण करने की अनुमति देता है।
आज हाँथ थाम लो, एक हाँथ की कमी खली
बुजुर्गों के लिए इस स्टार्ट-अप का उद्देश्य बुज़ुर्गों के अकेलेपन और मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों को भारत में वास्तविक सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंताओं के रूप में पहचानना है। भारत में 15 मिलियन बुजुर्ग अकेले रह रहे हैं, या तो साथी के खोने के कारण, या उनके परिवार अपने करियर से सम्बंधित कारणों से दूर जा रहे हैं। जबकि उनमें से कई के पास रोज़ाना जरूरतों की देखभाल करने के लिए इ- कॉमर्स वेबसाइट का सहारा है, लेकिन अकेलेपन या कंपनी की कमी का मुद्दा मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के बिगड़ने का प्राथमिक कारण रहा है।
इस स्टार्टअप को शुरू करने वाले 28 वर्षीय शांतनु नायडू यूँ तो रतन टाटा के ऑफिस में जनरल मैनेजर हैं, लेकिन देखा जाए तो वे स्वयं रतन जी के साथ गुडफेलो जैसे एक दोस्ती रिश्ते में जुड़े हुए हैं। शांतनु ने टाटा के साथ अपनी दोस्ती को "आई केम अपॉन ए लाइटहाउस" (हार्पर कॉलिन्स) नामक एक पुस्तक में भी बयां किया है, जो पिछले साल की शुरुआत में आयी थी। रतन जी शांतनु के सलाहकार तब बन गए थे, जब उन्होंने आवारा जानवरों को तेज रफ्तार कारों से बचाने के लिए शांतनु के नए उद्यम में निवेश किया था।
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