इंदौर में कान्ह और सरस्वती नदियों के तट पर शुरू होगी जैविक खेती
इंदौर यह बार-बार साबित कर चुका है कि शहर में कुछ भी बेकार नहीं जाता है। फिर चाहे वह स्क्रैप मटेरियल से बने आर्टिस्टिक पीस हों या वेस्ट मटेरियल जैविक खाद में परिवर्तित हो जाते हैं। इंदौर नगर निगम (आईएमसी) ने बायो-सीएनजी प्लांट (जिसका उद्घाटन इस साल की शुरुआत में हुआ था) में बनने वाली खाद को किसानों को उपलब्ध कराने की पहल की है।
कान्ह और सरस्वती के तट से शुरू होगी जैविक खेती
इस पहल का मकसद जैविक खेती को बढ़ावा देना और कृषि के लिए रसायनिक फ़र्टिलाइज़र के उपयोग को कम करना है। अधिकारियों ने मीडिया को सूचित किया है कि प्लांट में बनने वाली खाद फर्टिलाइजर कंट्रोल आर्डर के मानकों पर खरी उतरी है। जैविक, रसायन मुक्त खेती को बढ़ावा देने के लिए अब खाद को उचित दरों पर किसानों को बेचा जा सकता है। यह पहल दो नदियों 'सरस्वती' और 'कान्ह' के आसपास के खेतों से शुरू होगी। इंदौर और उज्जैन के बीच स्थित नदियों से सटे खेतों को जैविक खेती बेल्ट का हिस्सा बनाने का प्रयास किया जा रहा है। यह एक ज्ञात तथ्य है कि उपज बढ़ाने के बावजूद, रासायनिक फर्टिलाइजर और कीटनाशक लंबे समय में मिट्टी को उसकी प्राकृतिक उर्वरता और गुणवत्ता से छीन लेते हैं। अधिकारियों का मानना है कि जैविक रूप से उत्पादित इस फर्टिलाइजर के उपयोग से न केवल मिट्टी की गुणवत्ता बनाए रखने में मदद मिलेगी बल्कि हानिकारक रसायनों को नदी के पानी में प्रवेश करने से भी रोका जा सकेगा।
गुणवत्ता जांची गई खाद
सीएनजी प्लांट बड़े पैमाने पर लिक्विड और ठोस खाद दोनों का उत्पादन करता है जो इस पहल को सुविधाजनक बना रहा है। अधिकारियों के अनुसार, राष्ट्रीय स्तर की प्रयोगशालाओं में खाद की गुणवत्ता की जांच की गई है और यह कृषि उपयोग के लिए पूरी तरह से सुरक्षित और प्रभावी है।
अनाज और सब्जियों जैसी जैविक वस्तुएँ आमतौर पर बाजारों में अधिक कीमतों पर बेची जाती हैं। एक बार जब पहल शुरू हो जाती है और उपज अच्छी होती है, तो इंदौर के लोगों को इन वस्तुओं की कीमतों में कुछ गिरावट का अनुभव हो सकता है।
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