राजस्थान का चौथा टाइगर रिज़र्व बना बूंदी स्थित रामगढ़ विषधारी वन्यजीव अभयारण्य
भारत में बाघों की संख्या को और अधिक बढ़ाने के लिए राजस्थान सरकार ने सोमवार को बूंदी जिले के रामगढ़ विषधारी अभयारण्य (Ramgarh Tiger Reserve) को देश का 52वां टाइगर रिज़र्व घोषित किया है। विशेष रूप से, सवाई माधोपुर (Sawai Madhopur) में बहुत प्रसिद्ध रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान (Ranthambore National Park), अलवर में सरिस्का टाइगर रिजर्व (Sariska Tiger Reserve) और कोटा में मुकुंदरा हिल टाइगर रिजर्व (Mukundara Hills Tiger Reserve) के बाद यह राजस्थान का चौथा टाइगर रिज़र्व है।
आप में से कितने लोग जानते हैं कि भारत में बाघों की संख्या को बढ़ाना दुनिया की सबसे सफल पशु संरक्षण कहानियों में से एक था। 2008 में, भारत में बाघों की संख्या घटकर मात्र 1400 रह गई थी।
औपचारिक मान्यता प्राप्त करने पर, केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने नागरिकों को सूचित किया कि "रामगढ़ विषधारी वन्यजीव अभयारण्य जैव विविधता का संरक्षण करेगा और क्षेत्र में इकोटूरिज्म और विकास लाएगा।"
हम में से बहुत से लोग जानते हैं कि रणथंभौर टाइगर रिजर्व (Ranthambore Tiger Reserve) में बाघों को जगह की कमी का सामना करना पड़ रहा है। भले ही बाघों की बढ़ती संख्या ने उनका संरक्षण करने वालों के बीच खुशी की लहर ला दी है, लेकिन बाघों के लिए जगह की कमी एक बड़ी समस्या बनी हुई है।
कथित तौर पर, इस मुद्दे से निपटने के लिए, नवीनतम रिजर्व में नार्थ ईस्ट में रणथंभौर टाइगर रिजर्व (आरटीआर) और दक्षिणी तरफ मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व (एमएचटीआर) के बीच बाघ आवास शामिल है जो की बाघों को आरटीआर से स्थानांतरित करने में मदद करेगा।
विशेष रूप से, अभयारण्य को 1999 में कुछ समय के लिए दिक्कतों का सामना करना पड़ा, माना जाता है की बाघ अभयारण्य से गायब हो गए थे और 1997 की गणना में केवल 3 बाघ पाए गए थे। राज्य के सीएम द्वारा जंगल को रिजर्व में अपग्रेड करने का फैसला करने के बाद अधिकारियों ने इस पर काम शुरू कर दिया। रिजर्व का कुल क्षेत्रफल 1,501.89 वर्ग किमी है, जिसमें 481.90 वर्ग किमी का कोर और 1,019.98 वर्ग किमी का बफर शामिल है। रिजर्व में भीलवाड़ा के वन ब्लॉक, राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य, बूंदी के क्षेत्रीय वन ब्लॉक और इंदरगढ़ शामिल हैं, जो सभी रणथंभौर टाइगर रिजर्व के बफर जोन के अंतर्गत आते हैं।
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