IIT-Kanpur Facts- क्या आप जानते हैं आईआईटी-कानपुर के बारे में यह 7 रोचक तथ्य
हर साल देश के लाखों इच्छुक छात्र भारत के सबसे प्रतिष्ठित संस्थान, IIT में प्रवेश पाने के लिए संघर्ष करते हैं। अनगिनत भावी छात्रों के सपनों का घरोंदा होने के अलावा, IIT बेहतरीन एक्सपोजर हासिल करने और तकनीकी कौशल बढ़ाने के लिए ढेर सारे अवसर प्रदान करते हैं।
लखनऊ में रहते हुए सबसे नज़दीकी कानपुर का IIT है जो की इस विशाल संस्थान की क्रीमी लेयर में आता है। यहाँ के उल्लेखनीय पूर्व छात्र जिसमें एन.आर. नारायण मूर्ति - इंफोसिस के संस्थापक, ललित जालान - रिलायंस के सीईओ, अशोक सेन - पद्म श्री और पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित, मुक्तेश पंत - केएफसी के सीईओ शामिल हैं जिन्होंने देश को तकनीकी एवं विभिन्न विकासशील स्त्रोतों का मार्ग प्रशस्त किया है।
हम आपके लिए IIT कानपुर के बारे में ऐसे 7 तथ्यों को लेकर आएं हैं, जहाँ शायद आपको 'ये IIT-JEE इतना कठिन क्यों है यार' ? का ज़वाब मिल जाएगा।
IIT कानपुर, HBT संस्थान के एक कमरे से शुरू हुआ था
1959 में स्थापित, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT), कानपुर भारत के प्रख्यात तकनीकी संस्थानों में से एक है। कई IIT उम्मीदवारों के लिए यह तथ्य चौंकाने वाला होगा कि सम्मानित संस्थान ने कानपुर के कृषि उद्यान में हरकोर्ट बटलर टेक्नोलॉजिकल इंस्टीट्यूट की कैंटीन बिल्डिंग के एक कमरे में अपना संचालन शुरू किया था। 1963 में प्रतिष्ठित संस्थान को उसके वर्तमान स्थान पर स्थानांतरित कर दिया गया था।
कानपुर इंडो-अमेरिकन प्रोग्राम (KIAP) के तहत स्थापित
IIT कानपुर की स्थापना कानपुर इंडो-अमेरिकन प्रोग्राम (KIAP) के तहत की गई थी, जो 9 प्रमुख अमेरिकी विश्वविद्यालयों का समूह था-
➡ M.I.T, कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय (University of California)
➡ बर्कले, कैलिफोर्निया प्रौद्योगिकी संस्थान (California Institute of Technology)
➡ प्रिंसटन विश्वविद्यालय (Princeton University)
➡ कार्नेगी इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (Carnegie Institute of Technology),
➡ मिशिगन विश्वविद्यालय (University of Michigan)
➡ ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी (Ohio State University)
➡ केस इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी और पर्ड्यू यूनिवर्सिटी (Case Institute of Technology and Purdue University)
कंप्यूटर विज्ञान की शिक्षा देने वाला पहला संस्थान
आज के युग और समय में, कंप्यूटर साइंस के कोर्स की पेशकश करने वाले कॉलेज पूरे भारत में तेज़ी से बढ़ हैं। लेकिन सोचिये, यह सब कहाँ से शुरू हुआ ?
1963 में अर्थशास्त्री जॉन केनेथ गैलब्रेथ (John Kenneth Galbraith) के नेतृत्व में, IIT कानपुर कंप्यूटर साइंस की शिक्षा प्रदान करने वाला भारत का पहला संस्थान था। सबसे पहला कंप्यूटर साइंस का कोर्स IIT कानपुर में अगस्त 1963 में IBM 1620 सिस्टम पर शुरू हुआ था।
IIT-कानपुर का SIIC स्टार्ट-अप उद्यमियों के लिए वरदान है
तकनीक आधारित क्षेत्रों में इनोवेशन, रिसर्च और उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिए, IIT कानपुर ने भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (SIDBI) के सहयोग से SIDBI इनोवेशन एंड इनक्यूबेशन सेंटर (SIIC) की स्थापना की है। स्टार्ट-अप व्यवसाय के नए लोगों को अपने विचारों को कमर्शियल उत्पादों में विकसित करने के लिए एक मंच प्रदान करता है।
भारत का पहला नैनो सैटेलाइट 'जुगनू' IIT कानपुर में विकसित हुआ
संस्थान को भारत के पहले नैनो सैटेलाइट 'जुगनू' (Nano-Satellite - Jugnu) का विकासकर्ता माना जाता है। यह संस्थान के संकाय सदस्यों और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिकों के मार्गदर्शन में काम कर रहे छात्रों की एक टीम द्वारा डिजाइन और निर्मित किया गया था। इसरो के PSLV-C18 द्वारा 12 अक्टूबर 2011 को जुगनू को कक्षा में सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया था।
भारत में पहला शैक्षणिक संस्थान जिसके पास अपनी खुद की हेलीकॉप्टर फेरी सेवा है
IIT कानपुर को हेलीकॉप्टर फेरी सेवा देने वाला देश का पहला शैक्षणिक संस्थान माना जाता है। यह सेवा 1 जून 2013 को शुरू की गई थी और इसे पवन हंस हेलीकॉप्टर लिमिटेड द्वारा चलाया जा रहा है। प्रारंभिक चरण में, यह सेवा केवल IIT कानपुर को लखनऊ हवाई अड्डे से जोड़ती है, लेकिन बाद में इसे नई दिल्ली तक विस्तारित करने की योजना पहले से ही गति में है।
वर्तमान में, 25 मिनट के यात्रा समय के साथ लखनऊ हवाई अड्डे के लिए प्रतिदिन दो उड़ानें हैं। फेरी सेवा लखनऊ हवाई अड्डे तक पहुँच प्रदान करती है, जो सभी प्रमुख शहरों और देशों के लिए अंतरराष्ट्रीय और घरेलू दोनों उड़ानें संचालित करती है। कहा जाता है कि आईआईटी कानपुर के पास एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग ( Aeronautical Engineering) के छात्रों के लिए अपनी एयरस्ट्रिप भी है।
IIT-कानपुर के सर्वश्रेष्ठ उपलब्धियों के कुछ अंश
जुगनू (Jugnu) के साथ, आईआईटी कानपुर कई विकासशील उपलब्धियों में प्रथम स्थान रखता है। इनमें से कुछ हैं, 2021 में, आईआईटी कानपुर ने 'भू परीक्षक' नामक एक पोर्टेबल मिट्टी परीक्षण उपकरण विकसित किया है जो एक एम्बेडेड मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से केवल 90 सेकंड में स्वास्थ्य में मिट्टी का पता लगा सकता है। यह उपकरण फर्टिलाइज़र्स की रेकमेंडेड डोज़ के साथ सॉइल हेल्थ पैरामीटर्स प्राप्त करने में किसानों की सहायता करने के लिए तैयार है।
जुलाई 2021 में आईआईटी कानपुर ने स्वसा ऑक्सीराइज बोतल (Swasa Oxyrise bottle) बनाई। यह एक पोर्टेबल डिवाइस है जिसे ऑक्सीजन की आपातकालीन आवश्यकता को पूरा करने के लिए कहीं भी ले जाया जा सकता है। महामारी के दौरान ऑक्सीजन की कमी को दूर करने के लिए आईआईटी कानपुर द्वारा पोर्टेबल ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर बनाया गया था। कथित तौर पर, प्रत्येक 180 ग्राम की बोतल में 10 लीटर ऑक्सीजन मौजूद रहता है।
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